


समाजसेवा और मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित जीवन जीने वाले स्व. बजरंग प्रसाद मित्तल ने अपने कर्म और सादगी से लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने सदैव यह संदेश दिया कि “सेवा ही सच्चा धर्म है” — और इसी सिद्धांत को अपने जीवन का आधार बनाकर उन्होंने समाजहित में अनेक सराहनीय कार्य किए।
स्व. मित्तल ने अपने जीवनकाल में धर्म, शिक्षा, गौसेवा और मानवता के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह आज भी प्रेरणा स्रोत है। उनके द्वारा स्थापित श्री जगन्नाथ गौशाला, पुरुषोत्तमपुरा आज समाज में समर्पण, सद्भावना और सेवा भावना का प्रतीक बन चुकी है। गौसेवा को उन्होंने सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना और इसी दिशा में उन्होंने अनेक लोगों को प्रेरित किया।
उनका जीवन सादगी, विनम्रता और त्याग का पर्याय था। वे सदैव दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहते और सामाजिक एकता को मजबूत बनाने के हर प्रयास में शामिल रहते। उन्होंने धर्म और समाज के बीच वह सेतु बनाया, जिसने सेवा को संस्कार बना दिया।
उनके प्रेरक कार्यों की स्मृति में पुरुषोत्तमपुरा स्थित श्री जगन्नाथ गौशाला परिसर में उनकी प्रतिमा का अनावरण एवं गौशाला के टीन शेड का उद्घाटन समारोह हाल ही में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, श्रद्धालु एवं स्थानीय लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक हंसराज पटेल ने भाग लिया और स्व. मित्तल के योगदान को समाज के लिए अविस्मरणीय बताया।
स्व. मित्तल के पुत्र अरविंद मित्तल और शशि मित्तल ने अपने पिता की प्रतिमा का अनावरण करते हुए उनके जीवन के मूल्यों और आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि “हमारे पिता ने हमेशा हमें यह सिखाया कि समाज की सेवा ही सच्चा धर्म है, और हम उसी राह पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
आज स्व. बजरंग प्रसाद मित्तल की विचारधारा और कर्म उनके परिवार और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके पुत्रों द्वारा गौसेवा, धर्मार्थ कार्य और समाजसेवी गतिविधियों को निरंतर आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे उनकी सेवा परंपरा आज भी जीवंत है।
स्व. मित्तल का जीवन यह सिखाता है कि इंसान अपने पद या संपत्ति से नहीं, बल्कि अपने कर्म, सेवा और विनम्रता से समाज के दिलों में अमर होता है। उन्होंने भले ही शरीर छोड़ा हो, पर उनकी प्रेरणा, उनके संस्कार और उनके कार्य आज भी समाज में प्रकाश बनकर फैले हुए हैं।
SEETARAM GUPTA ( KOTPUTLI)





