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अंधेरे से उजाले की ओर: कोटपूतली का गुमनाम मसीहा

एक शराबी से बना सहारा, जो अब पूरे राजस्थान को नशे से मुक्त करने में जुटा है

कोटपूतली, राजस्थान
(लेखक -सीताराम गुप्ता)

वो न किसी मंच पर जाता है, न किसी सम्मान को स्वीकार करता है। उसके पास न कोई संस्था है, न चंदा, न सरकारी पहचान। फिर भी, वो आज सैकड़ों नहीं, हजारों ज़िंदगियों को नशे के अंधेरे से निकालकर रोशनी की ओर ले जा चुका है।यह गुमनाम मसीहा, अब पूरे राजस्थान के लिए उम्मीद की एक जलती हुई लौ बन चुका है।

एक समय था जब वो खुद बर्बादी के रास्ते पर था…

जी हाँ, ये कहानी एक ऐसे इंसान की है, जो कभी खुद शराब का गुलाम था। वर्षों तक नशे में डूबे रहने के बाद उसने खुद को नष्ट होते देखा — रिश्ते टूटते गए, सम्मान मिटता गया, और आत्मा धीरे-धीरे मरने लगी। लेकिन एक दिन, एक क्षण ऐसा आया जब उसने खुद से सवाल किया — “क्या मैं सिर्फ ऐसे ही शराब की बोतल की गुलामी करता रहूंगा?”

इस सवाल ने उसे एल्कोहाॅलिक्स एनाॅनिमस नामक विश्व व्यापी फैलोशिप से जोडा जहाँ जाकर न सिर्फ उसकी शराब बन्द हुई बल्कि ज़िंदगी बदल ग्ई । … पर बात यहीं खत्म नहीं हुई।
उसने एए के बारह कदमों को अपने जीवन में लागू किया और जिस सन्देश ने उसकी जिन्दगी बदली उस सन्देश को दूसरे पीडित शराबियों तक पहुंचाने का निश्चय किया।

कोटपूतली से उसने शुरुआत की — चुपचाप, बिना शोर किए। पहले एक व्यक्ति की मदद की, फिर दूसरे की। उसने कोई प्रचार नहीं किया, सिर्फ दिल से बात की। अपने अनुभव को आईना बनाकर वो लोगों को दिखाने लगा कि नशे का रास्ता कितना खोखला है।

धीरे-धीरे यह प्रयास पूरे राजस्थान में फैल गया। आज वह व्यक्ति जयपुर, अलवर, अजमेर, भीलवाड़ा, बाड़मेर, भरतपुर, सीकर, झुंझुनूं, डूंगरपुर और अन्य जिलों तक पहुँच चुका है — जहाँ भी कोई शराबी खुद को खो चुका है, वहाँ वह पहुँचा है।

न इलाज का क्लिनिक, न कोई थेरेपी — सिर्फ एल्कोहाॅलिक्स एनाॅनिमस का कार्यक्रम

एए का तरीका अनोखा है। यहाँ शराबी को दोष नहीं देते, उसे तिरस्कार नहीं करते। उसके भीतर का टूटे हुए इंसान पहचानते है — और उसे थामकर कहते है, “मैं भी वहाँ था जहाँ तुम हो, लेकिन तुम भी वहाँ आ सकते हो जहाँ मैं हूँ।”

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है — एकता और सेवा । यही वजह है कि जो लोग कई सालों से शराब नहीं छोड़ पाए, वो भी इस कार्यक्रम में आकर बदलने लगे हैं।

अब तक हजारों परिवारों की बदली किस्मत

इन प्रयासों से अब तक हजारों लोगों ने शराब छोड़ दी है, और उनका जीवन पटरी पर लौट आया है। कई लोग तो अब खुद इस आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं — वे भी अब शराबियों को सहारा दे रहे हैं।

किसी की माँ की आँखों में सुकून लौटा है,
किसी बच्चे को फिर से पिता का प्यार मिला है,
किसी पत्नी ने अब तन्हाई नहीं, भरोसा पाया है —
ये सब उसी गुमनाम कार्यक्रम की बदौलत है।

नाम नहीं चाहिए, बस इतना काफी है कि किसी का जीवन इस बीमारी से बच जाए…”

उसने साफ़ कहा है — “मुझे किसी पहचान की ज़रूरत नहीं। जब किसी शराबी की आँखों में आत्मग्लानि की जगह आत्मविश्वास दिखे, तब समझता हूँ कि मेरा काम पूरा हो गया।” अपनी कहानी बताते हुए उसने कहा कि कभी मैं भी उन लोगों में था, जिनकी सुबह शराब से होती थी और रात उसी की बाहों में डूब जाती थी। रिश्ते टूटते गए, शरीर कमज़ोर होता गया, आत्मा टूटने लगी… पर सबसे खतरनाक बात ये थी कि मुझे लगता था – “सब ठीक है।”

फिर एक दिन, किसी ने एक पर्ची थमा दी। उस पर लिखा था –
“एक फोन कॉल आपका जीवन बदल सकता है…”
शराब से जूझते मेरे जैसे न जाने कितने लोग एल्कोहॉलिक्स एनॉनिमस से जुड़कर आज एक नया जीवन जी रहे हैं – निःशुल्क, गुमनाम और सम्मान के साथ।
यहाँ आकर मुझे पता लगा कि WHO के अनुसार शराब की लत एक गंभीर बीमारी है?
लेकिन इसका इलाज है – और वह है साथ, समर्थन और समझ। एल्कोहॉलिक्स एनॉनिमस एक ऐसा संगठन है, जो बिना किसी पैसे, जाति, धर्म, राजनीति या भेदभाव के केवल एक मकसद से जुड़ा है – शराबियों को संयमी बनने में मदद करना।

यहाँ कोई जज नहीं करता, कोई नाम नहीं पूछता, कोई उंगली नहीं उठाता। सिर्फ एक सवाल होता है –
“क्या आप वाकई शराब बन्द करना चाहते हैं?”
अगर हाँ, तो हम सब आपके साथ हैं।

आज मैं 23july 2012से शराब से दूर हूँ, लेकिन मैं खुद को “गुमनाम शराबी” ही कहता हूँ – क्योंकि पहचान ज़रूरी नहीं, परिवर्तन ज़रूरी है।
अगर आप या आपके किसी अपने को शराब ने जकड़ रखा है, तो अब चुप मत रहिए उसे अपने नजदीकी एए ग्रुप मे लेजाईये। मेरा सभी शराबीपन से ग्रस्त भाईयों से अनुरोध है कि यह पोस्ट आपके लिए है।
आप अकेले नहीं हैं – और कभी थे भी नहीं। निशुल्क मदद के लिए कॉल करे और हाँ आपकी पहचान सदैव गुप्त रखी जायेगी
8769172350, 8890081665

समाज के लिए एक संदेश

इस लेख को पढ़ने वाले हर व्यक्ति से सिर्फ एक अनुरोध है —
अगर आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो शराब में डूब रहा है, उसे दुत्कारे नहीं… उसे थामें।
शायद उसे भी किसी गुमनाम मसीहा की ज़रूरत हो।