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अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के खिलाफ जोधपुरा संघर्ष समिति का धरना 907वें दिन भी जारी, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को सौंपा गया ज्ञापन

कोटपूतली, 2 जून।
जोधपुरा स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के खिलाफ चल रहा जोधपुरा संघर्ष समिति का शांतिपूर्ण धरना सोमवार को 907वें दिन भी जारी रहा। प्लांट से प्रभावित ग्रामीणों की मांगों को लेकर लगातार चल रहे इस लंबे संघर्ष को अब तक किसी स्थायी समाधान की ओर नहीं ले जाया गया है, जिससे स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है।

सोमवार को जब केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री  भूपेंद्र यादव जिला समन्वय और विकास समिति (दिशा) की बैठक के सिलसिले में कोटपूतली कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, तो जोधपुरा संघर्ष समिति के सदस्यों ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। समिति के प्रतिनिधियों ने मंत्री और जयपुर ग्रामीण सांसद  राव राजेंद्र सिंह को विस्तार से अपनी समस्याएं बताईं और शीघ्र समाधान की मांग की।

ज्ञापन में उठाई गई मुख्य समस्याएं
समिति ने अपने ज्ञापन में अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट से उत्पन्न प्रदूषण, स्थानीय निवासियों के विस्थापन, रोजगार में उपेक्षा, भूमि मुआवज़ा न मिलना, तथा पर्यावरणीय असंतुलन जैसे विषयों को प्रमुखता से उठाया। संघर्ष समिति का कहना है कि कंपनी ने स्थानीय जनता से किए गए वादों को नजरअंदाज किया है और ग्रामीणों की आजीविका, स्वास्थ्य और सामाजिक संतुलन पर गंभीर असर पड़ा है।

सांसद और कलेक्टर को दिया आश्वासन
ज्ञापन सौंपने के बाद जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेंद्र सिंह ने समिति की बातों को गंभीरता से सुना और समस्याओं के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने कोटपूतली जिला कलेक्टर  कल्पना अग्रवाल को भी संघर्ष समिति की समस्याओं के समाधान हेतु आवश्यक कार्यवाही करने को कहा।

ज्ञापन सौंपने वालों में समिति के उपाध्यक्ष सतपाल यादव, सचिव कैलाश यादव, प्रभु दयाल वर्मा, लीलाराम यादव, दिनेश यादव, भूप सिंह धानका, सूबे सिंह मीणा, रामावतार यादव सहित कई सक्रिय सदस्य उपस्थित रहे।

धरना रहेगा जारी
संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि जब तक ग्रामीणों की मांगों का स्थायी समाधान नहीं हो जाता, तब तक यह धरना शांतिपूर्ण सत्याग्रह के रूप में जारी रहेगा। समिति ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि जनहित को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द ठोस निर्णय लिया जाए।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों ने समिति के इस शांतिपूर्ण आंदोलन को समर्थन दिया और इसे जन अधिकारों की लड़ाई बताया।