



कोटपूतली।(सीताराम गुप्ता)
हल्की सी बरसात ने कोटपूतली नगर परिषद की “कागजी कार्यवाही” और “ऊपर से नीचे तक लापरवाह व्यवस्था” को उजागर कर दिया है। मंगलवार को हुई बारिश में ही शहर की सड़कें तालाब बन गईं, नालों का गंदा पानी घरों और दुकानों में घुस गया, और लोग घुटनों भर पानी में परेशान होते रहे। जीण माता मंदिर के पीछे गहलोत बाजार, मुख्य बाजार, सहित अनेक इलाकों में जलभराव की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है।
नालों की समय पर सफाई नहीं होना, जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होना और प्रशासन की उदासीनता ने आमजन को मुश्किल में डाल दिया है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि नगर परिषद केवल फाइलों में योजनाएं चलाती है, धरातल पर कुछ नहीं हो रहा। बरसात से पहले नालों की सफाई के नाम पर बजट खर्च कर दिया जाता है, लेकिन काम शून्य होता है।
“कोटपूतली में विकास केवल नारों में है, ज़मीन पर पानी और गंदगी है।”
नगर परिषद के इस नकारापन पर जनता में जबरदस्त रोष है। मोहल्लावासियों ने साफ शब्दों में कहा कि अगर जल्द ही सफाई और निकासी व्यवस्था नहीं सुधरी तो वे नगर परिषद कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
नगर परिषद सभापति, नगर परिषद आयुक्त और संबंधित अधिकारियों की खामोशी और निष्क्रियता से लग रहा है कि या तो वे शहर की हालत से अनजान हैं या फिर जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं। क्या नगर परिषद किसी बड़ी त्रासदी का इंतज़ार कर रही है?
जनता अब ठान चुकी है – “या तो नगर परिषद काम करे, या फिर कुर्सी खाली करे!”
प्रशासन से अपेक्षा है कि वह तुरंत सक्रिय होकर नगर परिषद की जवाबदेही तय करे और आमजन की समस्या का स्थायी समाधान निकाले।
रिपोर्ट-सीताराम गुप्ता