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कोटपूतली में ग्रीष्मकालीन शिविर बना प्रतिभाओं का मंच, 171 बालक- बालिकाएं ले रहे हैं विविध प्रशिक्षण

कोटपूतली। राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड स्थानीय संघ कोटपूतली के तत्वावधान में आयोजित ग्रीष्मकालीन कौशल विकास एवं अभिरुचि शिविर में बाल प्रतिभाएं पूरे उत्साह से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। 17 मई से प्रारंभ हुए इस बहुआयामी शिविर में कुल 171 बालक-बालिकाएं विभिन्न विधाओं में दक्ष प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। शिविर 28 जून तक चलेगा।
इस अभिनव शिविर में हारमोनियम, पेंटिंग, योग, शतरंज, मेंहदी, ब्यूटीशियन, सिलाई, डांस, जूडो, कंप्यूटर एवं इंग्लिश स्पोकन जैसे विषयों में बालकों को गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो न केवल उनकी रुचियों को पहचानने का अवसर देता है, बल्कि आत्मनिर्भरता और व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायक सिद्ध हो रहा है।
आज शिविर के विशेष सत्र में विद्या भारती से संबद्ध आदर्श विद्या मंदिर कोटपूतली के व्यवस्थापक जितेन्द्र चौधरी ने शिविर का ध्वजारोहणकर शिविर का निरीक्षण किया और प्रशिक्षणरत बालकों को प्रेरक उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि “ऐसे शिविर बच्चों के समग्र विकास का आधार हैं, जो उनके भीतर आत्मविश्वास, रचनात्मकता और नेतृत्व क्षमता का निर्माण करते हैं।” चौधरी ने स्काउट गाइड कोटपूतली द्वारा आयोजित शिविर की भूरी भूरी प्रशंसा की।
शिविर स्थल पर चौधरी  का पारंपरिक रूप से स्कार्फ पहनाकर स्वागत किया गया। शिविर संचालक अतुल कुमार आर्य ने अतिथियों का स्वागत करते हुए शिविर की गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। हारमोनियम प्रशिक्षक दिग्विजय सिंह ने आभार व्यक्त किया, जबकि मंच संचालन असिस्टेंट लीडर सीताराम गुप्ता द्वारा कुशलता से किया गया।
स्थानीय संघ के सचिव रामवीर यादव ने बताया कि इस शिविर में बालकों को विभिन्न अभिरुचि सहित स्काउट गाइड का प्रशिक्षण, आपातकालीन स्थिति में किस तरह लोगों को बचाया जा सके उसका भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
शिविर में आज बालकों को भामाशाह एवं प्राचार्य ख्यालीराम सैनी द्वारा आइसक्रीम वितरित की गई, जिससे बच्चों के चेहरों पर प्रसन्नता झलक उठी। इस अवसर पर राजकुमार पालीवाल, अजय कुमार छिपी, देवराज कुमावत सहित अनेक अनुभवी प्रशिक्षकगण उपस्थित रहे,जो विभिन्न गतिविधियों का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
शिविर का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ जीवनोपयोगी व्यावहारिक ज्ञान देना है, जिससे वे आने वाले समय में आत्मनिर्भर और रचनात्मक नागरिक बन सकें।