नीमराना राव सोहनलाल पीजी कॉलेज में “रिमोट सेंसिंग व जीआईएस” पर कार्यशाला आयोजित, कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों पर हुआ मंथन

मरुधर हिंद न्यूज (रमेशचंद्र) नीमराना राव सोहनलाल पीजी महाविद्यालय में सोमवार को “रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का परिचय: कृषि अवधारणाएं, उपकरण एवं अनुप्रयोग” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य कृषि, भूगोल और ग्रामीण विकास से जुड़े छात्रों, अधिकारियों व उद्यमियों को भू-स्थानिक तकनीकों की व्यवहारिक समझ देना था। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज कोऑर्डिनेटर प्रियंका यादव एवं डॉ. एम. ए. सलाम शैक ने दीप प्रज्वलित कर किया। प्रियंका यादव ने अपने स्वागत भाषण में कहा, “जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और संसाधनों की सीमितता जैसी समस्याओं का समाधान अब तकनीक आधारित सोच से ही संभव है। ऐसे में रिमोट सेंसिंग व जीआईएस जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण समय की आवश्यकता है।”

कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. अभिषेक रावत ने रिमोट सेंसिंग की मूलभूत जानकारी साझा की। उन्होंने उपग्रहों, सेंसरों (ऑप्टिकल, थर्मल, रडार) और कृषि के विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे फसल स्वास्थ्य, भूमि आवरण परिवर्तन व सूखा पूर्वानुमान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, “रिमोट सेंसिंग आंखों से अदृश्य स्थितियों को देखने में सक्षम बनाता है, जैसे पौधों की तनाव स्थिति या मिट्टी की नमी।” दूसरे सत्र में डॉ. शिल्पा सुमन ने प्रतिभागियों को सरल भाषा में जीआईएस (GIS) की अवधारणाओं से परिचित कराया। उन्होंने वेक्टर व रास्टर डेटा, लेयर्स, शैपफाइल्स, एट्रीब्यूट टेबल्स तथा मैप प्रोजेक्शन जैसे विषयों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझाया। अपने अगले सत्र में उन्होंने जीआईएस और रिमोट सेंसिंग से जुड़े वास्तविक केस स्टडी जैसे भूमि उपयोग परिवर्तन, शहरी विस्तार निगरानी, फसल स्वास्थ्य विश्लेषण और वनों की निगरानी के सफल उदाहरण साझा किए।

कार्यशाला का विशेष आकर्षण गूगल अर्थ (Google Earth) पर आधारित व्यावहारिक प्रशिक्षण रहा। डॉ. रावत द्वारा संचालित इस सत्र में प्रतिभागियों ने टाइमलाइन स्लाइडर, मापन टूल्स और भूमि उपयोग परिवर्तन विश्लेषण जैसे फीचर्स का प्रत्यक्ष अभ्यास किया। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर गुरेन्द्र नाथ भारद्वाज एवं एनसीसी प्रभारी प्रवीण कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने वक्ताओं, सहभागी छात्रों और आयोजन टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “तकनीकी उन्नति से लैस कृषि विशेषज्ञों का निर्माण ही भविष्य की टिकाऊ खेती का आधार है।”

इस अवसर पर महाविद्यालय स्टाफ, विद्यार्थी, कृषि क्षेत्र से जुड़े अधिकारी, एफपीओ प्रतिनिधि, एनजीओ कार्यकर्ता और उद्यमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों ने न केवल नई तकनीकों को जाना बल्कि उन्हें अपने क्षेत्रीय कार्यों में उपयोग करने की प्रेरणा भी प्राप्त की।