कोटपूतली- बहरोड़ जिला लिख रहा जल संचयन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में नई इबारत
जिले में वॉटरशेड, वन एवं पंचायतीराज विभाग के द्वारा किए जा रहे सराहनीय विकास कार्यल
पीएम कृषि सिंचाई योजना एवं एमजेएसए से पुनर्जीवित हो रही है जल संरक्षण की परम्परा
खास बिंदु: ग्राउंड वॉटर रिचार्ज के लिए बन रहे एनिकट, वॉटर शेड विभाग द्वारा वर्षा जल संचय के लिए चलाए जा रहे 980 कार्य, वन विभाग तैयार कर रहा 2.78 लाख पौधे, ग्राम पंचायतों में बन रहे हैं अमृत सरोवर





रिपोर्ट
कोटपूतली-बहरोड़(सीताराम गुप्ता)
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत जल संरक्षण, सिंचाई प्रबंधन के लिए हुए कार्यों से ग्रामीण क्षेत्र में जल संरक्षण की परम्परा पल्लवित हो रही है। साथ ही किसानों को बिना लागत के सिंचाई सुविधा का लाभ मिलने से सरकार की किसानों को दुगुनी आमदनी करने का सपना भी साकार हो रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र में जल संरक्षण की परम्परा पल्वित
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई – 2.0 योजना में जिलेभर में फॉर्म पॉण्ड निर्माण, पोखरों में रिचॉर्ज सॉफ्ट निर्माण एवं तलाई गहरी करने के कार्य से ये परम्परागत जल स्रोत वर्षा जल संरक्षण के बडे स्थल बनकर ग्रामीण क्षेत्र में मानव जीवन, पशु-पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए भी मददगार साबित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में प्रत्येक गांवों में जल स्रोतों का जीर्णोंद्धार एवं संरक्षण का कार्य हाथ में लिया गया है जिनमें परम्परागत कुंओं का रखरखाव, तलाई एवं पिट निर्माण, एनीकट, तालाबों के पिचिंग कार्य से जल संरक्षण की क्षमता बडी है। वर्षभर वर्षा का पानी जमा रहने से आसपास वनस्पति की हरितमा पट्टी भी इन क्षेत्रों में विकसित हो रही है।
वंदे गंगा जल संरक्षण-जल अभियान के तहत ग्राउंड वॉटर रिचार्ज करने, भू- जल संरक्षण करने, अधिकाधिक वृक्षारोपण हेतु आमजन को जागरूक करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत हुए विकास कार्यों एवं जल संरक्षण के स्थलों व ग्रामीण क्षेत्रों में इन आधारभूत संरचनाओं के निर्माण से आये परिवर्तनों को विस्तार से जानने की आवश्यकता है।
1-ग्राम चूरी का अमृत सरोवर 4500 ग्रामवासियों के लिए होगा सहायक
कोटपुतली के ग्राम चूरी में भारत सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत ग्राम विकास मंत्रालय द्वारा विकसित किए जा रहे अमृत सरोवर में किए जा रहे कार्य सराहनीय है. विभागीय कार्मिक धर्मेन्द्र ने बताया कि मनरेगा व कंजर्वेंस के तहत 50 लाख लीटर की क्षमता वाले जोहड़ के चारों तरफ पत्थर पिचिंग का कार्य कर बाउंड्री तैयार की जा रही है साथ ही बाउंड्री के चारों तरफ ट्रैक तैयार कर पौधारोपण का कार्य भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इससे वर्षा जल संरक्षण व संचयन में सहायता मिलेगी साथ ही भू- जल स्तर में भी वृद्धि होगी साथ ही ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार भी प्राप्त हो रहा है एवं दैनिक कार्यों में पानी का उपयोग कर सकेंगे. अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र सैनी ने बताया कि अमृत सरोवर योजना के तहत जिले में उपखंड विराटनगर की ग्राम पंचायत तेवड़ी, आमलोदा दूथी, कोहाड़ा, छाकोड़ा खुर्द, तालवा बिहाजर, बजरंगपुरा में कार्य पूर्ण हो चुका है और उपखंड बानसूर में सबलपुरा, किशोरपुरा, बुर्जा, शाहपुर और पोलावास, उपखंड नीमराना में गीगलाना, रोडवाल, बनी जोनायचा, नाटाना और चौबारा, उपखंड बहरोड़ की ग्राम पंचायत बसई, ढूंढारिया, जखराना, बिजोरावास, खोहरी में अमृत सरोवर विकसित किए गए हैं.
2- फतेहपुरा और मंगलवा में एनीकट पर देखा वर्षा जल संचयन का कार्य
भपावटा उपखंड के ग्राम फतेहपुरा में वर्षा जल संचयन हेतु निर्मित 2 एनीकट पर से ग्राउंड वॉटर रिचार्ज में सहायता होगी. वॉटर शेड विभाग एईएन प्रदीप यादव ने एनीकट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एनीकेट का निर्माण कार्य लागत 7.45 लाख एवं 5.59 लाख की स्वीकृति राशि से मार्च 2025 से प्रारंभ किया गया है, निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं, सिर्फ पत्थर पिचिंग का कार्य शेष है, जिसे जल्द ही पूर्ण कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि 4800 घन मीटर एवं 5700 घन मीटर की क्षमता वाले एनिकट के निर्माण से भू- जल स्तर में वृद्धि होगी, ग्राम वासियों को दैनिक कार्यों के लिए पानी उपलब्ध होगा.
इस दौरान अधीक्षण अभियंता वॉटर शेड हरिमोहन बैरवा ने बानसूर उपखंड के ग्राम मंगलवा में 19.90 लाख की स्वीकृत राशि से करीब 1 करोड़ लीटर पानी की क्षमता के निर्मित एनिकट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एम जे एस ए के तहत वॉटर शेड विभाग द्वारा जिले में करीब 980 कार्य प्रगतिरत हैं. उन्होंने बताया कि एनीकट एक चिनाई वाला चेक डैम है जो सिंचाई को बनाए रखने और विनियमित करने के लिए पानी को रोकने के लिए एक धारा के पार बनाया जाता है। एनीकट के पीछे संग्रहीत पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई और पशुओं के लिए पीने के पानी के लिए किया जा सकता है।
3- नर्सरी में 2.78 लाख पौधे हो रहे तैयार
विराटनगर के भाबरू में वन विभाग पावटा रेंज द्वारा संचालित नर्सरी में वर्ष 2025-26 में हरियालो राजस्थान एवं एक पर मां के नाम अभियान के तहत वन विभाग द्वारा 2,78000 पौधों को तैयार करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 2,50000 पौधे TOFR स्कीम एवं 20,000 पौधे RFBP स्कीम के तहत तैयार करवाए जा रहे है तथा लगभग 3000 पौधे टॉल प्लांट्स के तैयार करवाए जा रहे है। सहायक वन संरक्षक तरुण प्रकाश यादव ने बताया कि नर्सरी में अर्जुन, गूगल, शीशम, गुलाब, गुलर, अमरूद, कनेर, करंज, बहेड़ा, गुलमोहर, आंवला, आदि प्रकार के पौधे तैयार करवाएं जा रहे है जिनका वितरण ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से किया जा रहा है. वनपाल धर्मवीर वाल्मीकि ने बताया कि एक जिला एक स्पिसिज में में 4 हजार गूगल के प्लांट्स तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि विलुप्त प्रजाति में खिरनी, गुदी, खेजड़ी, कड़ाया के पौध तैयार किए जा रहे हैं.
4-जोहड़ निर्माण से जल संरक्षण एवं पौध शाला से पर्यावरण संरक्षण का होगा कार्य
विराटनगर के बियावास ग्राम में चारागाह में बनाए जा रहे जोहड़ में वर्षा जल संचयन से आस पास ग्रामीण लोगों को दैनिक कार्यों व पशु हेतु आवश्यक जल उपलब्ध हो सकेगा साथ ही भू- जल स्तर में भी वृद्धि होगी. साथ ही बियावास में ग्राम पंचायत द्वारा बनाई गई पौधशाला में तैयार पौधों को राज्य सरकार के वृक्षारोपण अभियानों में लगाया जाएगा.
5-सोलर प्लांट दे रहा विद्युत आत्मनिर्भरता का संदेश
बानसूर के ग्राम भूपसेडा में पीएम कुसुम सी योजना के तहत मैसर्स पवन एंटरप्राइजेज (बलबीर मोगर) द्वारा 10 मेगावाट के 2 सोलर प्लांट स्थापित किए गए हैं, जिनकी सप्लाई 33/11केवी जीएसएस कल्याण नगर व बालावास को दी जाती है।
एईएन विद्युत विभाग अमित यादव ने बताया कि उक्त प्लांट को लगाने के लिए लगभग 16-16 करोड़ की लागत आई है।
उन्होंने बताया कि सोलर प्लांट से जुड़े हुए पावर हाउस से निकलने वाले फीडर व उनपे जुड़े हुए कृषि कनेक्शन वाले किसानों को दिन में बिजली दी जा रही है साथ ही लोड शेडिंग के दौरान भी इन फीडर्स की बिजली की कटौती नहीं होती है। इससे किसानों वा लोगों को राहत मिली है।
6- हमीरपुर के मॉडल तालाब पर किया पौधरोपण
बानसूर के हमीरपुर में स्थित तालाब को मॉडल तालाब की संज्ञा दी गई है, जिसमें आस पास के पहाड़ी इलाकों से वर्षा के समय काफी मात्रा में जल एकत्रित हो जाता है जिससे कि ग्रामीणों को जल की आपूर्ति में सहायता प्राप्त होती है एवं ग्राउंड वॉटर रिचार्ज भी अच्छी मात्रा में हो पता है. साथ वॉटर शेड विभाग द्वारा क्षेत्र के नदी बहाव क्षेत्र में करीब 20 एनिकट तैयार किए जा रहे हैं, जिससे वर्षा के दिनों में पहाड़ों से आने वाले जल का संचयन किया जा सकेगा.


